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प्रेरणादायक कहानियां

धिनु ने सोचा लगता है | धन-जोडू ने बड़ी बदनामी कमाई है | चलो मैं खुद ही उसका घर ढूंढने की कोशिश करता हूं |

ढूंढते-ढूंढते जुलाहे को अंत में धन-जोडू का घर मिल ही गया | धन-जोडू के घर पहुंचने पर उसकी स्त्री, बच्चों तथा नौकर-चाकरो ने धिनु को खूब दुत्कारा; किंतु धिनु उनके आंगन में बैठ गया | रात को धन-जोडू की पत्नी ने न चाहते हुए भी उसे भोजन करा दिया |

रात के समय जुलाहा वहीं आंगन में सो गया | उसे सपने में फिर से कर्म तथा भाग्य नजर आए | भाग्य ने कर्म से पूछा – ” कर्म ! इस धन-जोडू के भाग्य में तो पैसा खर्च करना लिखा ही नहीं है | फिर इस जुलाहे को भोजन करवाकर तुमने यह फालतू खर्च क्यों करवाया |”

कर्म बोला – ” भाग्य ! मैंने जो ठीक समझा किया | आगे तुम्हारी मर्जी है, चाहे जैसे इस कमी को पूरा करो |”

अगले दिन भाग्य के वश में होकर धन-जोडू बीमार पड़ गया और इस तरह उसे कई दिन तक फाका करना पड़ा | भूखा-प्यासा जुलाहा भी वहां से धन-खर्चीले के खोज में चल पड़ा | उसके घर के पास पहुंचते ही हर व्यक्ति के मुंह से उसने धन-खर्चीले के दानी स्वभाव की प्रशंसा सुनी | लोग उसे धन खर्चीले के घर तक छोड़ने आए |

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